सिर्फ सोलर पैनल का एंगल बदलकर 9% ज्यादा बिजली! राजस्थान में नया कमाल

Durgesh Paptwan
Durgesh Paptwan | August 15, 2025

राजस्थान जिसे सूरज की धरती कहा जाता है, अब सोलर पावर के क्षेत्र में एक और बड़ा रिकॉर्ड बनाने की ओर बढ़ रहा है। राजस्थान टेक्निकल यूनिवर्सिटी कोटा के शोधकर्ताओं ने एक नई स्टडी में खुलासा किया है कि अगर सोलर पैनलों का एंगल मौसम के हिसाब से बदला जाए, तो बिजली उत्पादन में लगभग 9% तक की बढ़ोतरी हो सकती है। यह खोज खासतौर पर राजस्थान जैसे राज्यों के लिए गेमचेंजर साबित हो सकती है, जहां सूरज की रोशनी सालभर भरपूर मिलती है, लेकिन उसका इस्तेमाल सही तरीके से नहीं हो पाता है।

Rajasthan Gains 9 percent Power by Tilting Panels

हर मौसम में अलग एंगल, ज्यादा बिजली

शोधकर्ताओं ने कोटा, बाड़मेर, जोधपुर और जैसलमेर—इन चार शहरों के डेटा का MATLAB-आधारित सिमुलेशन से विश्लेषण किया। इन शहरों में अलग-अलग मौसम और जलवायु पाई जाती है—जैसलमेर और जोधपुर में रेगिस्तानी जलवायु है, जबकि कोटा और बाड़मेर में अर्ध-शुष्क जलवायु है। पारंपरिक तौर पर, सोलर पैनलों को एक फिक्स एंगल (आमतौर पर लोकेशन के लैटीट्यूड के बराबर) पर सेट किया जाता है, लेकिन यह तरीका गर्मियों और सर्दियों के मौसम में सूरज की ऊंचाई में आने वाले बदलाव को पूरी तरह कैप्चर नहीं कर पाता है।

स्टडी में पाया गया कि अगर सर्दियों में पैनलों का एंगल 58°–60° किया जाए और गर्मियों में (मई-जुलाई) लगभग रखा जाए, तो सालाना बिजली उत्पादन में लगभग 8.89% से 9.02% तक बढ़ोतरी संभव है। यानी सिर्फ पैनल का झुकाव बदलकर बिना किसी अतिरिक्त निवेश के ज्यादा बिजली बनाई जा सकती है।

किस शहर में सबसे ज्यादा फायदा

अध्ययन में पाया गया कि जैसलमेर सालभर में औसतन 289.2 W/m² सोलर रेडियंस के साथ सबसे आगे रहा, जो इसे सोलर इंस्टॉलेशन के लिए सबसे उपयुक्त जगह बनाता है। वहीं, जोधपुर ने गर्मियों में 301.5 W/m² का रिकॉर्ड बनाया, जबकि कोटा मानसून में सबसे पीछे रहा (229.4 W/m²)।

यह भी सामने आया कि गर्मियों में सभी लोकेशनों पर सबसे ज्यादा सोलर रेडियंस मिलता है, जबकि मानसून में बादलों की वजह से उत्पादन घट जाता है। फरवरी से मई का समय सोलर पावर के लिए सबसे बेहतर है, क्योंकि इस दौरान सूरज की रोशनी तेज होने के साथ-साथ पैनल का तापमान भी ज्यादा नहीं बढ़ता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के सीजनल टिल्ट ऑप्टिमाइजेशन को अपनाकर न सिर्फ राजस्थान बल्कि पूरे भारत में सोलर पावर प्लांट्स की एफिशिएंसी बढ़ाई जा सकती है। भविष्य में अगर यह तकनीक बड़े पैमाने पर लागू होती है, तो बिजली उत्पादन में भारी इजाफा होगा और भारत के ग्रीन एनर्जी मिशन को नई रफ्तार मिलेगी।

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